भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बीज अर धरा / ॠतुप्रिया

660 bytes added, 11:13, 8 जुलाई 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=सपनां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>

बीज आवै
आपरै रूप में
धरा री
देह सूं बारै
तद ई
पत्थरां री
पक्की भींतां बिचाळै
देखां
हरियल रूंख।

धरा अंगेजै
सींचै
दिखावै आपरी माया
अर सिखावै
जीणै रौ ढंग।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits