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प्रकृति : दोय / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
चिड़्यां
चटकै सोवै
अर
चटकै जागै
अर
चुगौ-पाणी भी
करै आपरै हिसाब सूं

प्रकृति सूं
जुड़्योड़ा रैवै जीव
तद ई
रैवै नीरोग।

</poem>
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