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{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
करवा चौथ अर सावणी तीज ई नीं
इक्यांतरै-दूसरै राखै बरत
बां री जोड़ायत
कदी अेक बगत जीम'र
कदी साव निगोट
बां रा टाबर ई
कठै रैवै लारै
थोक में लूंटै
बरत रो पुन्न
जिणरै परताप ई
स्क्रेप चुगणियां मजूर
धमीड़ां बिचाळै
आग उगळती रोही सूं
सोध ल्यावै रोटी-टुकड़ो।
हफ्तो मिलणै वाळै दिन
बां री गवाड़ी में
बरत नीं
उच्छब मंडै।
</poem>
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<poem>
करवा चौथ अर सावणी तीज ई नीं
इक्यांतरै-दूसरै राखै बरत
बां री जोड़ायत
कदी अेक बगत जीम'र
कदी साव निगोट
बां रा टाबर ई
कठै रैवै लारै
थोक में लूंटै
बरत रो पुन्न
जिणरै परताप ई
स्क्रेप चुगणियां मजूर
धमीड़ां बिचाळै
आग उगळती रोही सूं
सोध ल्यावै रोटी-टुकड़ो।
हफ्तो मिलणै वाळै दिन
बां री गवाड़ी में
बरत नीं
उच्छब मंडै।
</poem>