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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हे र्इ्रश्वर
मौत का पूर्वाभास
मौत से भयानक
मत किसी को दे
मौत मुँह बाये
सामने खड़ी हो
घबरायी जिंदगी
काँपती हो थर-थर
और सब अँधेरा हो
तो मौत से पहले
मर जाने का
बेखैाफ हौसला दे
</poem>
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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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हे र्इ्रश्वर
मौत का पूर्वाभास
मौत से भयानक
मत किसी को दे
मौत मुँह बाये
सामने खड़ी हो
घबरायी जिंदगी
काँपती हो थर-थर
और सब अँधेरा हो
तो मौत से पहले
मर जाने का
बेखैाफ हौसला दे
</poem>