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|रचनाकार=दीपिका केशरी
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}}
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<poem>
किसी मीन की आँख
किसी पत्थर की तराश
कटी पतंग के पीछे बच्चों का दौड़ना
सर झुका कर
किसी और के लिए दुआ माँग लेना
चाँद को अपना महबूब मान लेना
किसी एक स्पर्श को माँ के स्पर्श के साथ रख लेना
पहला प्रेम
जिसे सोचने भर से ही आँखों का मुस्कुरा जाना !
</poem>
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किसी मीन की आँख
किसी पत्थर की तराश
कटी पतंग के पीछे बच्चों का दौड़ना
सर झुका कर
किसी और के लिए दुआ माँग लेना
चाँद को अपना महबूब मान लेना
किसी एक स्पर्श को माँ के स्पर्श के साथ रख लेना
पहला प्रेम
जिसे सोचने भर से ही आँखों का मुस्कुरा जाना !
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