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नया कलैण्डर / प्रकाश मनु

7 bytes removed, 11:54, 20 दिसम्बर 2017
पापा, नए साल पर लाना,
बढ़िया-सा
एक नया कलैण्डर !
बैठक में जो टँगा हुआ है
हुआ कलैण्डर बहुत पुराना,
उस पर मैंने कभी लिखा था
कालू-भालू वाला गाना ।गाना।
मम्मी ने भी लिखा उसी पर
शायद राशन का हिसाब है,
इसीलिए बिगड़ा-बिगड़ा-सा
जैसे डब्बू की क़िताब है !
नया कलैण्डर लाना जिस पर
फूल बने हो
सुन्दर-सुन्दर !
फूलों पर उड़ती हो तितली
उसे पकडऩे डब्बू भागा,
आसमान में नया उजाला
सूरज भी हो जागा-जागा ।जागा।
ऐसा नया कलैण्डर जिसमें
गाना गाए मुनमुन दीदी,
सुनकर के पेड़ों पर बैठी,
चिड़िया चहके चीं-चीं, चीं-चीं !
नई सुबह आएगी पापा
उस नन्हीं
चिडिय़ा-सी फुर-फुर !
</poem>
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