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{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
देश-रक्षा में
सर्द- शृंगार मेरा
मन तपता ।
2
अबके आना
प्रिय आलिंगन में
भूल न जाना ।
3
गर्म चाय की
चुस्कियों जैसी मीठी-
स्मृति तुम्हारी ।
4
सर्द विरह,
सैनिक-प्रियतम
सर्दी की धूप ।
5
नभ में पिया
बदली रुई- सी है
उड़ आऊँ मैं ।
6
बर्फीली भोर
प्रिय-उष्णता–रश्मि
कली-सी खिले।
7
अलाव–सा है,
सर्द रात पीड़ा में
स्पर्श तुम्हारा ।
8
बादल-यादें
आलिंगन -सी छाई
मन के नभ ।
9
पथराई आँखें
सैनिक-प्रिया थकी
बाट निहारे ।
10
पहाड़ी नदी
संघर्ष पत्थरों से
फिर भी बहे ।
</poem>
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|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
1
देश-रक्षा में
सर्द- शृंगार मेरा
मन तपता ।
2
अबके आना
प्रिय आलिंगन में
भूल न जाना ।
3
गर्म चाय की
चुस्कियों जैसी मीठी-
स्मृति तुम्हारी ।
4
सर्द विरह,
सैनिक-प्रियतम
सर्दी की धूप ।
5
नभ में पिया
बदली रुई- सी है
उड़ आऊँ मैं ।
6
बर्फीली भोर
प्रिय-उष्णता–रश्मि
कली-सी खिले।
7
अलाव–सा है,
सर्द रात पीड़ा में
स्पर्श तुम्हारा ।
8
बादल-यादें
आलिंगन -सी छाई
मन के नभ ।
9
पथराई आँखें
सैनिक-प्रिया थकी
बाट निहारे ।
10
पहाड़ी नदी
संघर्ष पत्थरों से
फिर भी बहे ।
</poem>