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{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आखै जग में
घणांई मिनख है
जिका
पंखेरुआं स्यूं बात करै
ढांढां स्यूं बात करै
खेतां स्यूं बात करै
रूंखां स्यूं बात करै
तळाव स्यूं बात करै
नदी स्यूं बात करै
समंदर स्यूं बात करै
अकास स्यूं बात करै
पताळ स्यूं बात करै
भींतां स्यूं बात करै
पण
नां कदी
खुद स्यूं बात करै
अर
नां किणी
मिनख स्यूं बात करै।
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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आखै जग में
घणांई मिनख है
जिका
पंखेरुआं स्यूं बात करै
ढांढां स्यूं बात करै
खेतां स्यूं बात करै
रूंखां स्यूं बात करै
तळाव स्यूं बात करै
नदी स्यूं बात करै
समंदर स्यूं बात करै
अकास स्यूं बात करै
पताळ स्यूं बात करै
भींतां स्यूं बात करै
पण
नां कदी
खुद स्यूं बात करै
अर
नां किणी
मिनख स्यूं बात करै।
</poem>