भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
पृथ्वी से आदिजीव विभु जैसा प्यार<br>
कैसे भुला दोगे अनवरत् सुंदरता की<br>
स्तुति का स्वभाव स्वभाव कैसे भुला दोगे<br><br>
अभी तो इतने वर्ष रूष्ट रहे इसका<br>