भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश चन्द्र शौक़ }} [[Category:ग़ज़ल]] हर फूल बाग़े—हुस्न का ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश चन्द्र शौक़
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
हर फूल बाग़े—हुस्न का काग़ज़ का फूल है
इसमें तलाश बू-ए-वफ़ा की फ़ुज़ूल है
उस ज़िन्दगी से पड़ गया है वास्ता हमें
जिसका न कोई ढब है न कोई उसूल है
चल आ शराब—ए—नाब से इसको निखार लें
ऐ दिल कुछ आज ज़ीस्त का चेहरा मलूल है
तर्क—ए—तअल्लुक़ात से तुझ को भी क्या मिला
मैं हूँ इधर मलूल, उधर तू मलूल है
दुनिया के उसूल हैं इससे नहीम ग़रज़
अपना तो ‘शौक़’! सिर्फ़ महब्बत उसूल है
नग़्मासरा=सुरीली आवाज़ में गाने वाला;;शराब—ए—नाब=शुद्ध शराब;मलूल=दुखी ;तर्क—ए—तअल्लुक़ात=संबंधों का परित्याग
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश चन्द्र शौक़
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
हर फूल बाग़े—हुस्न का काग़ज़ का फूल है
इसमें तलाश बू-ए-वफ़ा की फ़ुज़ूल है
उस ज़िन्दगी से पड़ गया है वास्ता हमें
जिसका न कोई ढब है न कोई उसूल है
चल आ शराब—ए—नाब से इसको निखार लें
ऐ दिल कुछ आज ज़ीस्त का चेहरा मलूल है
तर्क—ए—तअल्लुक़ात से तुझ को भी क्या मिला
मैं हूँ इधर मलूल, उधर तू मलूल है
दुनिया के उसूल हैं इससे नहीम ग़रज़
अपना तो ‘शौक़’! सिर्फ़ महब्बत उसूल है
नग़्मासरा=सुरीली आवाज़ में गाने वाला;;शराब—ए—नाब=शुद्ध शराब;मलूल=दुखी ;तर्क—ए—तअल्लुक़ात=संबंधों का परित्याग