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{{KKRachna
|रचनाकार=ललित कुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
'''ब्रह्मा जी नै रची सृष्टि, फैलादी त्रिगुणी माया,'''
'''वैसा ही फल मिलै जगत म्य, जैसा बन्दे कर्म कमाया || टेक ||'''
असुर कुल जन्मे गया, विष्णु जी नै रटण लागे,
श्रीहरि नै दिया वरदान, दर्शन तै पाप कटण लागे,
न्यू पापी जग मै घटण लागे, देख यम घबराया ||
विश्रवेसुर का पुत्र रावण, ब्राहमण हो अभिमानी हुआ,
पारासर का वेद्ब्यास, तप करके महाज्ञानी हुआ,
सूर्य का कर्ण दानी हुआ, न्यू दानी नाम धराया ||
गंधर्व पुत्र विश्वावसु नै, ऋषियों का किया अपमान,
वशिष्ठ ऋषि नै श्राप दे दिया, राक्षस रूपी बणज्या शान,
ऋषि का यो सुण ऐलान, विश्वावसु घबराया ||
गुरु जगदीश ज्ञान का सागर, ललित तिरके होज्या पार,
जमदग्नि के परशुराम नै, पृथ्वी जीती इक्कीस बार,
आहुष पुत्र होया नाहुष जार, अजगर बणा स्वर्ग तै गिराया ||
</poem>
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'''ब्रह्मा जी नै रची सृष्टि, फैलादी त्रिगुणी माया,'''
'''वैसा ही फल मिलै जगत म्य, जैसा बन्दे कर्म कमाया || टेक ||'''
असुर कुल जन्मे गया, विष्णु जी नै रटण लागे,
श्रीहरि नै दिया वरदान, दर्शन तै पाप कटण लागे,
न्यू पापी जग मै घटण लागे, देख यम घबराया ||
विश्रवेसुर का पुत्र रावण, ब्राहमण हो अभिमानी हुआ,
पारासर का वेद्ब्यास, तप करके महाज्ञानी हुआ,
सूर्य का कर्ण दानी हुआ, न्यू दानी नाम धराया ||
गंधर्व पुत्र विश्वावसु नै, ऋषियों का किया अपमान,
वशिष्ठ ऋषि नै श्राप दे दिया, राक्षस रूपी बणज्या शान,
ऋषि का यो सुण ऐलान, विश्वावसु घबराया ||
गुरु जगदीश ज्ञान का सागर, ललित तिरके होज्या पार,
जमदग्नि के परशुराम नै, पृथ्वी जीती इक्कीस बार,
आहुष पुत्र होया नाहुष जार, अजगर बणा स्वर्ग तै गिराया ||
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