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खगड़िया में हिन्दी, अंगिका, मैथिली, मगही, संस्कृत, अंग्रेजी और बज्जिका में लिखनेवाले साहित्यकार भी हैं, जिनसे मिलकर बिहार अंगिका साहित्य अकादमी, पटना के अध्यक्ष डा0 लखनलाल सिंह आरोही बतौर ऊद्घाटन कर्ता ने अपनी हार्दिक खुशियाँ जाहिर की और कहा कि लेखन, प्रकाशन और आयोजन की त्रिवेणी खगड़िया में बहती है जिसकी इन्द्रधनुषी छटा इस आयोजन के विभिन्न सत्रों में दृष्टिगोचर होनेवाली है। खगड़िया जैसे कस्बाई क्षेत्र में ऐसे आयोजन 16 वर्षों से हो रहे हैं जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। बिहार के बाहर भी नहीं। कैलाश झा किंकर की अद्भुत ऊर्जा से आच्छादित यह क्षेत्र अपने आप में अद्वितीय है। मैं चाहूँगा कि हिन्दी के साथ-साथ अंगिका के लिए भी खगड़िया अद्वितीय बने।