भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
चटक और उदास
गिरती है धूप बफ़ पर
बर्फ़ पहाड़ों पर
और आसमान गिरता है टुकड़ों में
हरे के अँधेरे पर
जल के गहरे में,
शिखर की चट्टानों
और चट्टानों के पहरे में एकसार...

मैं आती हूँ इनमें धँसकर
मुक्त हुई
हर बार

</poem>
761
edits