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<poem>
सपने की छाया में दिन था
दिन की छाया में सपना
छाया-सा मन
मन-सी छाया
भ्रम-जालों की भीड़ पुरानी
कौन हुआ अपना!
</poem>
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दिन की छाया में सपना
छाया-सा मन
मन-सी छाया
भ्रम-जालों की भीड़ पुरानी
कौन हुआ अपना!
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