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Kavita Kosh से
|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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तोहर पायल के झंकार गोरी हमरा न´् नञ् लागऽ हे नीक।नीकजाय दऽ हमरासरहद पर तोहरा से माँगऽ ही भीख।।भीखसबसे पहिले हिअइ हम ई देसवा के सिपहइया।सिपहइयाअसरा हमर देख रहल सीमा पर धरती मइया।मइयातिलक लगा के बिदा करऽ हमरा बनाके निरभीक।। निरभीकजाय ....ई प्यार करे के समय हे न´् नञ् आ गेलइ देश पर खतरा।खतरापहिले माय के बेटा ही फेर हिओ तोहरा भतरा।भतरालाके हमर हाँथ बंदुक दऽ हमरा न´् नञ् लगबऽ तूँ हीक।। हीक जाय ....छतिया के जे दुधवा पिलइलक ओकरा से न´् नञ् करबइ गद्दारी।गद्दारीहमकी देबइ जवाब ओकरा पुछतइ जब महतारी।महतारीचीर देबइ दुश्मन के छाती बना देबइ ओकरा पर लीक।। लीकजाय ...हे बेकार हमर ई जिनगी हे बेकार जुआनी।जुआनीआझ तो देबे पड़तै हमरा अप्पन अब कुरबानी।कुरबानीधरती मइया से मागऽ अप्पन सोहाग के भीख।। भीखजाय ...
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