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Kavita Kosh से
|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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कब तक धीरज धरिओ हम, बोलऽ रणधीर कहाँ हऽ?
एक धनंजय महासमर में बाकी वीर कहाँ हऽ।।हऽके हा वीर धुरंधर किनका कहिओ हम्मे अधीरथी।अधीरथीसमझ रहला हे सब्भे अपना अपना के सब महारथी।महारथीतोहर मगही मइया रोबे लकीर के फकीर कहाँ हऽ।। हऽएक ....चार करोड़ हे जेक्कर बेटा बाँधके चले मुरेठा।मुरेठाओक्कर मइया दर-दर भटके ढह-ढह गिरे कनेटा।कनेटातोहनी छइते गिर-गिर जाहूँ बोलऽ बलवीर कहाँ हऽ।। हऽएक ...खेल रहला हें खेल सभे कादो फेंका-फेंकी के।केलगल आग बुझे के चाही न´् नञ् चाह रहे हँथसेकी के।केघुप्प अँधरिया मिटाबेवाला बोलऽ तनवीर कहाँ हऽ।। हऽएक ....तोहर करनी देख रहलों हें सउँसे मगही-जगत।जगततोहर सेवा के की कहना? बाह रे बगुला भगत!सब वीरन पर तूँही भारी बोलऽ महावीर कहँ हऽ।। हऽएक ....हँथगर गोड़गर भुजगर देखे में सब लागऽ हें।हेंजब साथ देबे के बारी आबे छिटक-छिटक के भागऽ हऽ।हऽहर रण में आगू रहेवाला बोलऽ रणवीर कहाँ हऽ।। हऽएक ....केकरा सजा मिले के चाही केकरा करिओ दंडित।दंडितहमर समझ से सब्भे हा मगही के पोंगा-पंडित।पंडितस्वार्थ सिद्धि ले लग्गल हा सब परमारथ वीर-कहाँ हऽ।। हऽएक ...अपने में जब लड़ते रहबा की देखबा अप्पन माय के।केजे भी रहऽ हऽ शीर्ष पर बैठल कोशिश करऽ हऽ खाय के।केअब तोहनी के राम सम्हारथुन, हे रघुवीर कहाँ हऽ।। हऽएक ....
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