भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सब चेहरों पर सन्नाटा
हर दिल में पड़ता काँटा
हर घर में है गीला आँटावह क्यों होता है?
जीने की जो कोशिश है
जीने में यह जो विष है
साँसों में भरी कशिश है
इसका क्या करियेकरिए ?
कुछ लोग खेत बोते हैं
कुछ चट्टानें ढोते हैं
कुछ लोग सिर्फ़ होते हैं
इसका क्या मतलब?
मेरा पथराया कन्धा
जो है सदियों से अन्धा
जो खोज चुका हर धन्धा
क्यों चुप रहता है?
यह अग्निकिरीटी मस्तक
जो है मेरे कन्धों पर
यह ज़िंदा ज़िन्दा भारी पत्थरइसका क्या होगा?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits