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{{KKRachna
|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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<poem>अपनी मंज़िल से बे ख़बर आंसू
छोड़ कर जा रहे हैं घर आंसू

तेरी उल्फ़त के नाम कर डाले
हमने अपने तमाम तर आंसू

हम भी मक़तल की सम्त की कूच करें
रास्ता छोड़ दें अगर आंसू

मेरी सच्चाई की ज़मानत है
मेरा हर लफ्ज़ मेरा हर आंसू

हाल दिल का बयान कर देंगे
राज़दारी से बे ख़बर आंसू </poem>