भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुन्दरचन्द ठाकुर |संग्रह= }} एक चिड़िया दृश्य से बाहर उ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुन्दरचन्द ठाकुर
|संग्रह=
}}

एक चिड़िया दृश्य से बाहर उड़ी है अभी-अभी<br>
यहाँ सिर्फ़ उसकी अनुपस्थिति रह गई है<br>
जहाँ थी वह अपने दो पंजों पर फुदकती हुई<br>
वहीं उसकी कूक थी दृश्य को भरती हुई<br>
उसके आकार की परछाईं थी<br>
उसी की तरह हिलती-डुलती चोंच रगड़ती<br><br>

वह चिड़िया दृश्य से उड़कर जा चुकी है बाहर<br>
अब वही किसी दूसरे दृश्य को भर रही होगी<br>
जहाँ उसकी परछाईं थी घास पर<br>
उतना हिस्सा चमक रहा है धूप में<br>
उसकी कूक हवा की जिस पार्ट पर सवार तैरती थी<br>
अब वहां एक चुप्पी उतर रही है<br><br>

दृश्य से जा चुकी वह चिड़िया<br>
अभी बची हुई है वहां<br>
उसके पंजों के नीचे दबी घास<br>
खुल रही है धीरे-धीरे<br>
वातावरण में<br>
उसकी कूक की अनुपस्थिति मौजूद है। <br><br>