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|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरी
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ख़ैर कांटे तो हम न बो जाएं
िज़न्दगी ज़िन्दगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएं
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