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जहाँ वो शोख़ है उस अंजुमन की आँच न पूछ
क़बा में जिस्म है या शोला जेरेज़ेरे-परद-ए-साज़
बदन से लिपटे हुए पैरहन की आँच न पूछ
हिजाब में भी उसे देखना क़यामत है
नक़ाब में भी रुखेरुख़-ए -शोला-ज़न की आँच न पूछ
लपक रहे हैं वो शोले कि होंट जलते हैं
न पूछ मौजे-शराबे-कुहन की आँच न पूछ
'फ़िराकफ़िराक़' आइना-दर-आइना है हुस्ने -निगार
सबाहते-चमन-अन्दर-चमन की आँच न पूछ
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