भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=विलियम ब्लेक
|अनुवादक=शिव किशोर तिवारीअनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
नहीं बताया किसी को, कोप बढ़ गया
डर गया मैं,  क्रोध को सींचा औ’ पानी पिलायारात-दिन उसे आँसुओं से बहलायाबढ़ाया
उसे अपनी मुस्कानों का ताप दिखलाया 
और छलपूर्वक उसपर कोई भ्रम सा छाया
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,730
edits