भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
उत्सव का मौसम
पल में राम सरीखा लगता
अगले ही पल
लिए बाँसुरी बांसुरी बालकृष्ण सा दिखता
तन के रावण, कंस, पूतना