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{{KKRachna
|रचनाकार=नोमान शौक़
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निकल जाते हैं सपने<br />
किसी अनन्त यात्रा पर<br />
बार-बार की यातना से तंग आकर<br />
गीली आंखेंआँखें<br />बार-बार पोंछी जाएंजाएँ<br />
सख्त हथेलियों से<br />
तो चेहरे पर ख़राशें पड़ जाती हैं<br />
हमेशा के लिए !<br />