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<poem>
कौवा काग के राज भेंटाईल
दादा रे दादा
सगरो सुन्नर गीत हेराईल
दादा रे दादा

अट्टा पट्टा मारे झपट्टा 
नोंच ले गईल सब
अंजरा पंजरा भईल घवाहिल,
दादा रे दादा

हमरे कान्हि पs लात धइ के
भेंटल रजधानी
हमके छोड़लें जीरो माईल
दादा रे दादा

पंडित ज्ञानी टुकुर टुकुर
टुअर अस ताकेलें
राज करेलें हम पे जाहिल
दादा रे दादा

जातिवाद के आन्ही में
सब देख रहल बा लोग
रिस्ता नाता के उधियाईल
दादा रे दादा

धरम के नागिन फुंफ्के
बाजल रजनीती के बीन
नेह रीत के मुंह पियराईल
दादा रे दादा

</poem>
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