भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सपने में आज रात को
देखा मैंने ज़बर्दस्त तूफ़ान ।
 
मचान को जकड़ लिया उसने
बकसुओं को उखाड़ फेंका उसने
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,637
edits