भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
या मेरी ‘रिस्टवाच’ की सुइयाँ ठहर गईं !
उस पार करने वाले के साहद्स साहस को देखकर
नदियाँ चढ़ी हुईं थीं, अचानक उतर गईं
Anonymous user