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Kavita Kosh से
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न पूछ क्या काम कर गई है,
तेरी नज़र सब को आज़माए,
शिगुफ़्ता१ दिल को न कर सकेगा,
मैं उन लबों पर कभी तो देखूँ,
हयाते-फ़ानी३ से बढ़ के फ़ानी,
ये इश्क़ है तो सलाम अपना,
तू इस तरह याद आ रहा है,
कहीं न आ जाए मेरे दिल में,
हज़ारहा दिल तड़प-तड़प कर,
न पूछ क्या उन दिलों पे गुज़री,
१. स्फुटित २. होठों में ही मुस्कुराना ३. नश्वर ४. चिंगारी भरी आँख
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