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|रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता
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<poem>
कोई नया हिसाब लगाया गया है कल ।
बुझता हुआ अलाव जलाया गया है कल ।

मैं भी तमाशबीन में शामिल किया गया,
मुझको कटी ज़बान बुलाया गया है कल ।

सज़दा नशीन देश में फिर से हुआ फ़रेब,
आला हसीन ख़्वाब दिखाया गया है कल ।

घर के क़रीब, रात जलाया गया किसे ?
किसको मसान घाट बताया गया है कल ?

फिर से मशाल बोझ बताने लगे हमें,
फिर से डिफ्यूज बल्ब थमाया गया है कल ।
</poem>
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