भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=बात बोलेगी / शमशेर बहादुर सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''अल्जीरियाई वीरों को समर्पित, 1961'''
लगी हो आग जंगल में कहीं जैसे,
हमारे दिल सुलगते हैं ।
हमारी शाम की बातें
लिए होती हैं अक्सर ज़लज़ले महशर के; और जब
भूख लगती है हमें तब इंक़लाब आता है ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=बात बोलेगी / शमशेर बहादुर सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''अल्जीरियाई वीरों को समर्पित, 1961'''
लगी हो आग जंगल में कहीं जैसे,
हमारे दिल सुलगते हैं ।
हमारी शाम की बातें
लिए होती हैं अक्सर ज़लज़ले महशर के; और जब
भूख लगती है हमें तब इंक़लाब आता है ।
</poem>