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समय को नाथ ! / शशिकान्त गीते

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नाथ !
समय को नाथ !

रस्सी छोडे़
सरपट घोडे़
बदल रहे हैं
पाथ !

कीला टूटा
पहिया छूटा
नहीं
कैकयी साथ !

जीत कठिन है
बडा़ जिन्न है
झुका न ऐसे
माथ !
</poem>
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