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मेरा कहना है
मेरी ख़ास रुचि नहीं है
इस पुरानी भव्य इमारत<ref>साँक्त पितिरबूर्ग में फ़ोन्तियन नदी के किनारे बना फ़ोन्तियन हाउस, जिसमें अख़्मातवा 1919 से 1952 तक रहीं</ref> में
यद्यपि