भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
तुम्हारे लिए वे बिछा रहे हैं शोशलिज़्म-कम्युनिज़्म
और भी बहुत कुछ ।
 
१० सितम्बर १९६१
''' अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,612
edits