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अंतर / शेखर सिंह मंगलम

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आप मुझे भरोसे में नहीं लिए
मैं इंसानों पर
अप्रतिबंधित भरोसा कर लेता हूँ;
यह अलग बात कि
आप खुद को समझदार
और मुझे मूर्ख समझ रहे किन्तु
मेरी समझ और आपकी समझदारी में
वृक्षारोही गिलहरी और लोमड़ी का अंतर है।
</poem>
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