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चलते- चलते हार गया हूँफिर भी धारा पार गया हूँ।पथ- बाधा से रोज़ घिरा हूँकभी उठा हूँ, कभी गिरा हूँ।बाधाओं से सदा लड़ा हूँहार-हारकर सदा खड़ा हूँ।माना मैं नहीं बहुत बड़ा हूँजीवन- रण में खूब अड़ा हूँमुझको पत्थर ही वे समझेगहन नींव में सदा गड़ा हूँ।माना मैं हूँ कुछ का प्यारामाना मैं किस्मत का मारामें केवल अपनों से हारामैं झूठे सपनों से हारा ।-0-
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