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Kavita Kosh से
जिनसे मन मिलता नहीं, वे मिल जाते रोज।
जो मन में हर पल बसे , उन्हें न पाते खोज।
205धार भोथरी हो गई , मुझे लगे जो तीर।मर्माहत करती सदा, मुझको तेरी पीर।206धड़कन -0-धड़कन तुम बसे, बन साँसों की साँस।दूर कहाँ तुम जा सके, रहते हरदम पास।
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