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Kavita Kosh से
चाक-दामन से मैं ही दौड़ा
तेरी कुरती के बटनों पर
बोझ किसी दूसरी छाती का
अब मेरी कनपटियों पर भी
तेल लगाती हैं और उंगलियाँ
गुज़रे जीवन का वो टुकड़ा
समय के पटवारी को कह कर
सब लिखवा दे मेरे नाम
मेरी सब साँझें लौटा दो
मेरी सब शामें लौटा दो
'''शब्दार्थ : कुन्जु,पुन्नू,रांझा, चैन्चलो,सस्सी = ये सभी विभिन्न प्रेम-कथाओं के पात्र हैं।