भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
वहाँ कभी सुनाई न देती भुर्जवृक्ष की फुसफुसाहट
जिसका मोटा तना बर्फ़ में कहीं गहरे धँसा हुआ है
वहीं उसके ऊपर फैली है पाले के घेरे की सुरसुराहट
तैर रहा जिसमें लहूलुहान-सा चन्द्रमा फँसा हुआ  है हुआ ।   
1952
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits