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Kavita Kosh से
या फूल बन जाऊँ, यदि तुम शबनम की बून्द बनो ।
शबनम की बून्द बनूँ, यदि तुम धूप बनो,
बस , तुझ संग होने की चाहत है ।
तो मैं उस ऊँचाई का तारा बन जाऊँ ।
प्रिये, अगर तुम नरक की ज्वाला हो,
तो भी तुझे पाने की ख़ातिर मैं मर जाऊँ ।
'''मूल हंगारी से अनुवाद : गौतम कश्यप''— '''मूल हंगेरियाई हंगारी भाषा में कविता इस प्रकार है :''' Fa leszek : Sándor Petőfi Fa leszek, ha...
Fa leszek, ha fának vagy virága.