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Kavita Kosh से
पर मैं वैसे ही घूमता रहता हूँ,
बस्स, मार्शल स्टोर पर जाकर एक छतरी ख़रीद लेता हूँ
जैसे बेलग्राद में भी ही बारिश हो रही है।हो ।
इस शहर की गलियों से गुज़रते हुए