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Kavita Kosh से
क्यों छूते हो उस लड़की को ?
क्यों उदास उसे बनाते हो ?
उफ़ ! उस रात पर चलना, जो हर चीज़ से दूर ले जाती है बिना वेदना, बिना मृत्यु के, प्रतीक्षारत सर्दियाँओस से खुली अपनी आँखों समेत ।
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे'''
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