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{{KKRachna
|रचनाकार=विलिमीर ख़्लेबनिकफ़
|अनुवादक=वरयाम सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
जब घोड़े मरते हैं —
वे हाँफने लगते हैं,
जब घास मरती है —
वह सूख जाती है,
जब सूर्य मरते हैं —
वे बुझ जाते हैं,
जब मनुष्य मरते हैं —
वे गीत गाते हैं ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
</poem>
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जब घोड़े मरते हैं —
वे हाँफने लगते हैं,
जब घास मरती है —
वह सूख जाती है,
जब सूर्य मरते हैं —
वे बुझ जाते हैं,
जब मनुष्य मरते हैं —
वे गीत गाते हैं ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
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