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{{KKRachna
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
नीले फूलों से लदी डाल में
जैसे छोटी एक चिड़िया घूमती है
वैसे घूमने दो तुम
मेरे मन को
अपने में, जागते में, सपने में ।
नहीं;
एक पंखुरी नहीं बिखरेगी
तुम्हारे किसी फूल की ।
मगर
ओ नीले फूलों से भरी लता
इतना तो बता
मेरे मन का चहकना
तुझ तक पहुँच रहा है या॒ नहीं
पहुँच रहा है जैसे मुझ तक
तेरा महकना ।
'''यह कविता कवि की मूल पाण्डुलिपि से लेकर यहाँ टाईप की गई है।'''
</poem>
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नीले फूलों से लदी डाल में
जैसे छोटी एक चिड़िया घूमती है
वैसे घूमने दो तुम
मेरे मन को
अपने में, जागते में, सपने में ।
नहीं;
एक पंखुरी नहीं बिखरेगी
तुम्हारे किसी फूल की ।
मगर
ओ नीले फूलों से भरी लता
इतना तो बता
मेरे मन का चहकना
तुझ तक पहुँच रहा है या॒ नहीं
पहुँच रहा है जैसे मुझ तक
तेरा महकना ।
'''यह कविता कवि की मूल पाण्डुलिपि से लेकर यहाँ टाईप की गई है।'''
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