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|रचनाकार=महेंद्र नेह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
ऐ लड़की !
ऐ लड़की !
तू प्यार के धोखे में मत आ
ऐ लड़की !
तू जिसे प्यार समझे बैठी है
वह और कुछ है
प्यार के सिवा
ऐ लड़की !
तूने अपने पाँव नहीं देखे
तूने अपनी बाँहें नहीं देखीं
तूने मौसम भी तो नहीं देखा
ऐ लड़की !
तू प्यार कैसे करेगी?
ऐ लड़की !
तू अपने पाँवों में बिजलियाँ पैदा कर
ऐ लड़की !
तू अपनी बाँहों में पँख उगा
ऐ लड़की !
तू मौसम को बदलने के बारे में सोच
ऐ लड़की !
तू प्यार के धोखे में मत आ ।
</poem>
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|रचनाकार=महेंद्र नेह
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ऐ लड़की !
ऐ लड़की !
तू प्यार के धोखे में मत आ
ऐ लड़की !
तू जिसे प्यार समझे बैठी है
वह और कुछ है
प्यार के सिवा
ऐ लड़की !
तूने अपने पाँव नहीं देखे
तूने अपनी बाँहें नहीं देखीं
तूने मौसम भी तो नहीं देखा
ऐ लड़की !
तू प्यार कैसे करेगी?
ऐ लड़की !
तू अपने पाँवों में बिजलियाँ पैदा कर
ऐ लड़की !
तू अपनी बाँहों में पँख उगा
ऐ लड़की !
तू मौसम को बदलने के बारे में सोच
ऐ लड़की !
तू प्यार के धोखे में मत आ ।
</poem>