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जीवन बन चुका है जहन्नुम कहर भरा
तुम लौटकर आओगे मेरे पास ज़रूर
यह यक़ीन है था मुझको पूरा-पूरा
'''मूल रूसी भाषा से अनूदित : अनिल जनविजय'''
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