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{{KKRachna
|रचनाकार=जय गोस्वामी
|अनुवादक=जयश्री पुरवार
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जब से प्रेम करने लगा तुम्हें
उस दिन से आज दस बरस हुए पूरे ।
तुम इण्टरव्यू लेने आई थीं :
तुम्हारे बाँए हाथ मे था नोटपैड
और जेब मे जैल पेन लगा हुआ था
‘इस विषय मे आप कुछ बताएँगे ?’
पूछा था उस दिन तुमने,
और उसके बाद कितनी - कितनी बातें
कहता रहा मैं मन ही मन ।
उन सब बातों को भी आज दस बरस हुए ।
अगर तुम्हें कुछ कहना है,
तो कह लेना अब किसी दिन ।
'''जयश्री पुरवार द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित'''
</poem>
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|अनुवादक=जयश्री पुरवार
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जब से प्रेम करने लगा तुम्हें
उस दिन से आज दस बरस हुए पूरे ।
तुम इण्टरव्यू लेने आई थीं :
तुम्हारे बाँए हाथ मे था नोटपैड
और जेब मे जैल पेन लगा हुआ था
‘इस विषय मे आप कुछ बताएँगे ?’
पूछा था उस दिन तुमने,
और उसके बाद कितनी - कितनी बातें
कहता रहा मैं मन ही मन ।
उन सब बातों को भी आज दस बरस हुए ।
अगर तुम्हें कुछ कहना है,
तो कह लेना अब किसी दिन ।
'''जयश्री पुरवार द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित'''
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