भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बड़े हाक़िमों को मिला करके लूटे
उसे कोई बापू, कोई संत बोलेख़ुदा का भी डर अकेले नहीं योजनाएं वो दिखा खाताबड़े अफसरों को मिला करके लूटे
किसी को तनिक भी न लगती भनक है
सुना है तमंचा सटा करके वो पर्दे के पीछे से जाकर के लूटे
बड़ा बेरहम संगदिल है वो का़तिल
मगर प्यार से मुस्करा करके लूटे
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits