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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव तिवारी |अनुवादक= |संग्रह=नदी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=केशव तिवारी
|अनुवादक=
|संग्रह=नदी का मर्सिया तो पानी ही गाएगा / केशव तिवारी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तलवार से बचना सीख लिया है
तो नहन्नी* से मारे जाओगे
बारिश में तो बच लोगे
जब चाँदनी रात में गिरेगी चिर्री तब
घृणा - घृणा कहते हुए थोड़ा सुध में रहो
लपक के पिओगे प्रेम पियाला और
ऐंठ जाओगे
प्रेम पियारे…
'''शब्दार्थ'''
* नहन्नी = नाखून काटने का यंत्र
</poem>
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|रचनाकार=केशव तिवारी
|अनुवादक=
|संग्रह=नदी का मर्सिया तो पानी ही गाएगा / केशव तिवारी
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तलवार से बचना सीख लिया है
तो नहन्नी* से मारे जाओगे
बारिश में तो बच लोगे
जब चाँदनी रात में गिरेगी चिर्री तब
घृणा - घृणा कहते हुए थोड़ा सुध में रहो
लपक के पिओगे प्रेम पियाला और
ऐंठ जाओगे
प्रेम पियारे…
'''शब्दार्थ'''
* नहन्नी = नाखून काटने का यंत्र
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