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<poem>
बरगदों से जियादा ज़ियादा घना कौन है।
किंतु इनके तले उग सका कौन है।
झील का काँपना देखता कौन है।
घर के बदले मिले खूबसूरत ख़ूबसूरत मकाँ,
छोड़ता फिर जहाँ में भला कौन है।
सामने हो अगर प्रश्न तुम सा हसीं,
तो जहाँ में नहीं कर सका कौन है।