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{{KKRachna
|रचनाकार=राजेश अरोड़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक हो रहा है यूरोप
विघटित हो चुका है रूस
शाश्वत नहीँ है
विश्व मानचित्र पर खींची लकीरें
फिर क्यों होते हैं युध्द
जिसमें गिरते हैं बम
और युध्द में मरने वाले आदमी
कभी होते है इराकी
बमों से मरने वाली औरते
होती हैं कभी हिंदुस्तानी
बमों से मरने वाले बच्चे
होते हैं कभी पाकिस्तानी
शाश्वत है तो
सिर्फ लड़ाई
बमों की और आदमियों की
काश जीत जाये एक बार आदमी ।
</poem>
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एक हो रहा है यूरोप
विघटित हो चुका है रूस
शाश्वत नहीँ है
विश्व मानचित्र पर खींची लकीरें
फिर क्यों होते हैं युध्द
जिसमें गिरते हैं बम
और युध्द में मरने वाले आदमी
कभी होते है इराकी
बमों से मरने वाली औरते
होती हैं कभी हिंदुस्तानी
बमों से मरने वाले बच्चे
होते हैं कभी पाकिस्तानी
शाश्वत है तो
सिर्फ लड़ाई
बमों की और आदमियों की
काश जीत जाये एक बार आदमी ।
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